Tuesday, November 22, 2011

सभ्यता


लघुकथा
सभ्यता

पारुल किसी परी सी लग रही थी अपने सातवें जन्म दिन की पार्टी में ।  बहुत मन से ढूंढ कर खरीद कर लाई थी मम्मी सफेद बर्थ-डे ड्रेस उसके  लिए । बुटिक वाली आंटी ने बताया था ठीक ऐसी ही ड्रेस प्रियंका चौपड़ा ने फिल्म ‘फैशन' में पहनी थी।

पारुल के ताऊजी प्रोफेसर सूर्यप्रकाश जैसे ही आए, पारुल के मम्मी-पापा ने उनके चरण स्पर्श किए।  'ताऊजी को प्रणाम करो बेटा !' पारुल की मम्मी ने जब उससे कहा तो उसके  चेहरे के भाव बदल से गए। शायद यह एक अनपेक्षित आदेश था उसके लिए ।
बेमन से उसने चेहरे और पीठ दोनों मे बल लाते हुए ताऊजी के चरणों को छुआ। सूर्यप्रकाशजी ने आत्मीय भाव से उसकी पीठ थपथपाई- 'खुश रहो,जीते रहो बेटे!'
'बेड मैनर्स ताऊजी़ ।' पीठ सीधी कर खडे होते ही पारुल गुस्सा करते हुए बोल पड़ी।
क्यों क्या हुआ बेटा ?'  सूर्यप्रकाशजी अचकचा गए।
'लड़कियों की पीठ पर हाथ नहीं रखना चाहिए !'  कहते हुए पारुल अपने दोस्तों के झुंड की ओर दौड़ गई।
सूर्यप्रकाशजी हतप्रभ रह गए । उन्हे लगा जैसे उन्होने अपनी भतीजी को आशीर्वाद न देकर किसी युवती के साथ कोई अभद्रता कर दी हो।

जन्म दिन का कैक खाते हुए उनका मुंह कसैला हो रहा था।

ब्रजेश कानूनगो  
503,गोयल रिजेंसी, चमेली पार्क,कनाडिया रोड,इंदौर-18 मोबाइल़ न-09893944294 

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