Saturday, December 24, 2011

ग्लोबल प्रोडक्ट


कविता
ग्लोबल प्रोडक्ट
ब्रजेश कानूनगो


जाने कौन-सी तरंगे पहुँच रहीं हैं
और करती हैं एक्टिवेट उसे
निकलती रहती है लगातार
वॉइस आफ़ अमेरिका उसके मुख से

अपनी भाषा भी बोलता है कभी-कभी
लेकिन ऐसा लगता है जैसे
अभी-अभी आया कोई कोलम्बस
कोशिश कर रहा है बात करने की
हमारी  भाषा में

उसके बच्चे नहीं पहनते
कुर्ता,सलवार ,अचकन या चूडीदार
पहनावे से पता ही नहीं चलता
कि किस जलवायु का बाशिंदा है
डिजाइनर कपड़ों पर चिपकी
प्रसिद्ध मार्का की छोटी-सी कतरन
घोषित करती है कि वह
बाजार युग का ग्लोबल प्रोडक्ट है

भरा होता है उसका बटुआ
जादुई कार्डों की बहुमूल्य संपदा से
दुनिया खरीद लेने का विश्वास
चमकता है उसके चहरे पर

सरकारी करेंसी भी थोड़ी-बहुत होती है उसके पास
सत्कार,घूस और डोनेशन में
बड़ी सहूलियत रहती है इससे
और फिर देवालय के बाहर और भीतर
क्रेडिट कार्ड से पुण्य खरीदना
आसान नहीं हुआ है अभी 
  
बहुत पहले से छोड़ दिया है उसने
दकियानूसी पारंपरिक भोजन करना
फास्ट फ़ूड और बर्गर मिटाते है उसकी भूख
बहुराष्ट्रीय कंपनी के
प्रमाणित साफ्ट ड्रिंक से
बुझाता है अपनी प्यास को

बड़ा ही स्मार्ट है वह
जबानी याद है उसे सचिन के शतकों का आँकड़ा
और संवेदनशील इतना कि
शेयर मार्केट की तनिक-सी घट-बढ़ से
बढ़ जाती है उसके दिल की धडकन

यह बड़ा अच्छा है कि
कारखानों से निकाले गए मजदूरों का दुःख
नहीं करता उसे स्पंदित
जहर पीकर आत्म हत्या करनेवाले
किसानों की संख्या में व्यर्थ नहीं जाती उसकी मेमोरी
बाँध से प्रभावित विस्थापितों की पीड़ा
प्रभावित नहीं करती उसकी आत्मा को

विकास के इस महत्वपूर्ण समय में
और कई वर्जन आने हैं अभी
इस ग्लोबल प्रोडक्ट के .
 

ब्रजेश कानूनगो
503 ,गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क, कनाडिया रोड ,इंदौर-18

3 comments:

  1. Brajesh Bhai,
    Shandaar, Maza Aa Gaya.

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  2. अति उत्तम, हमेशा की तरह....

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  3. यह बड़ा अच्छा है कि
    कारखानों से निकाले गए मजदूरों का दुःख
    नहीं करता उसे स्पंदित
    जहर पीकर आत्म हत्या करनेवाले
    किसानों की संख्या में व्यर्थ नहीं जाती उसकी मेमोरी
    बाँध से प्रभावित विस्थापितों की पीड़ा
    प्रभावित नहीं करती उसकी आत्मा को

    _________________________________________

    ये पीडाएँ अब किसी को प्रभावित नहीं करती ...


    एक अच्छी कविता

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