Monday, September 12, 2011

कैसे मरेगा आतंकवाद का रावण ...!


दृष्टिकोण
कैसे मरेगा आतंकवाद का रावण ...!
ब्रजेश कानूनगो

तंकवाद से निपटने की हमारी रणनीति क्या हो ? जैसे विषय पर चर्चा का माहौल बनना शुरू ही होता है कि देश में कोई नया हादसा हो जाता है। 9/11 के ठीक चार  दिन पहले गत 7 सितम्बर को सुबह दफ्तरों में कामकाज शुरू होते ही दिल्ली हाईकोर्ट मे बम ब्लास्ट हो गया,जिसमे 10 से अधिक लोगों की मौत हो गई तथा  लगभग सौ व्यक्ति  घायल हो गए । चार महिनों मे यहाँ यह दूसरी बार धमाका हुआ है,जो सचमुच हमारे लिए नई चेतावनी लेकर आया है। मुम्बई के व्यस्त इलाकों में तीन बम धमाकों के जख्म अभी सूखे भी नहीं थे और दिल्ली ने नया घाव दे दिया है।  
जो लोग यह मान रहे थे कि लादेन के समापन के बाद ऐसी घटनाओं में ठहराव आएगा,इन घटनाओं के बाद शायद अपनी समझ पर पुनर्विचार के लिए अवश्य बाध्य हुए होंगे। दरअसल एक लादेन के समापन से आतंकवाद की अवधारणा समाप्त नहीं हो जाती है। आतंकवाद रूपी दानव लगभग रावण जैसा है,जिसके अनेक सिर हैं।
चीजों को समझने के लिए प्रचलित मिथकों,पौराणिक संदर्भों तथा प्रसिद्ध सूक्तियों का प्रयोग बड़ा उपयोगी होता है। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की घटना को भी कुछ इसी तरह देखें तो अमेरिका नें बुरे को मार गिराया था , बुराई को नहीं। लादेन भले ही इसका एक प्रमुख चेहरा रहा हो किंतु बाद में अन्य चेहरों ने अपनी ताकत नहीं ब़ढ़ाई होगी ऐसा मान लेना शायद बहुत बड़ी भूल होगी। अमेरिका न तो मर्यादा पुरुषोत्तम रहा है और नही उसनें आतंकवाद की नाभि में निशाना लगाया था । सच तो यह है कि ओबामा नें 9/11 का बदला ओसामा को मार कर लिया।

लादेन की मौत के बाद इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता कि ओसामा समर्थक और अलकायदा के अनुयायी लादेन की हत्या को एक चुनौती मानकर नए उत्पात की तैयारी में लग जाएँ। अलकायदा और ऐसे ही अन्य आतंकी संगठनों को हतोत्साहित करने के लिए उचित होता कि दुनिया के इस मोस्ट वांटेड अपराधी को जिंदा गिरफ्तार करके उसके गुनाहों को उजागर किया जाता तथा मुकदमा चलाकर उसे सजा सुनाई जाती। आगे ऐसा किया जाना शायद अधिक बुद्धिमतापूर्ण होगा।
भारत की चिंता तो सदैव से यह भी रही है कि उसे पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक मानसिकता से भी मुकाबला करना होता है। परमाणु ताकत रखने वाले देशों मे से पाकिस्तान ही एकमात्र देश है जहाँ परमाणु बटन सेना के पास है तथा जिसकी आड़ में वह दशहतगर्दी फैलाता रहता है। इसमे कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान के अंदर अलकायदा को समर्थन देनेवालों का एक बड़ा वर्ग अब भी मौजूद है। ओसामा के अंत के बाद हमारे यहां ऐसी आवाजें सुनाई देती रहीं हैं कि हमारे मोस्ट वांटेड दाऊद और मौलाना अजहर मसूद के अंत के लिए भारत को भी अमेरिका जैसी कार्रवाई करनी चाहिए। मेरा मानना है कि यह विचार बड़ा आक्रामक  और जोशपूर्ण तो अवश्य दिखाई देता है किंतु वास्तविकता में महज नारे बाजी से कुछ ज्यादा नहीं होगा। अमेरिका और पाकिस्तान का गणित  अलग था, भारत और पाक की केमिस्ट्री कुछ भिन्न है। न तो हमारे पास पुख्ता जानकारियाँ हैं और न ही पर्याप्त क्षमता एवं व्यापक जनसमर्थन। पाकिस्तान के ईमानदार सहयोग के बगैर किसी भी कार्रवाई का अपेक्षित परिणाम आना संदिग्ध ही होगा। दोनों मुल्कों के शाँति पसंद अवाम को भी ऐसी कोई कार्रवाई अधिक रुचिकर नहीं होगी।  
बहरहाल ,मुम्बई के बम धमाकों के बाद अब एक बार फिर आरोप प्रत्यारोपों,शर्मनाक राजनीतिक बयानो का दौर चला है। हमारे खुफिया तंत्र तथा सरकार की क्षमताओं को लेकर अनेक प्रश्नचिन्ह आम भारतीय के मन को बैचैन करते रहे हैं। प्रश्न यह नही है कि खुफियातंत्र की जिम्मेदारी सम्भालनेवाली रॉ, आईबी, सीबीआई,और एनआईए जैसी भारी भरकम संस्थाएँ अपनी व्यापकता के बावजूद क्यों  असफल होती रही हैं। सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस फोर्स की कमी, विशेषज्ञ एवम् आधुनिक हथियारों तथा रक्षा उपकरणों के अभाव के मगरमच्छी रुदन से अब बात नही बननेवाली है। सबसे बडी चिंता यह होनी चाहिए कि हर हाल मे ये घटनाएँ रुकें तथा आम व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

जैसा कि प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने ओसामा बिन लादेन के खात्में के समय कहा था  आतंकवाद से निपटने की दिशा में वह एक महत्वपूर्ण कदम अवश्य रहा है  ,दिल्ली के धमाके के बाद सरकार की ओर से फिर उचित उपाय सुनिश्चित करने सम्बन्धित बयानो का दौर चल पडा है लेकिन आतंकवाद से निपटने की हमारी तकनीक और रणनीति क्या होनी चाहिए ? इसपर गंभीरता से विचार होना चाहिए। आतंकवाद से निपटने के लिए विमर्श का जो वातावरण बना है उसका लाभ लेते हुए हमारी सरकार ने इस बीच अपनी राजनीतिक दृढ़ता मे आई उस कमी को भी यदि दूर कर लिया , जिसके कारण कसाब जैसों को राहतें मिलती रहीं हैं तो बहुत बेहतर होगा

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैँ)

ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी ,चमेली पार्क कनाडिया रोड़ इंदौर-18
मो. न. 09893944294

No comments:

Post a Comment