Friday, June 3, 2011

कौन बना करोडपति अपनी मेहनत से



क्वि
ब्रजेशकानूनगो


प्रतियोगिता में होने के लिये सफल
इतना मालूम होना चाहिए
कि पूरब से निकलकर सूरज डूब जाता है पश्चिम में,
किस देश की धरती पर पडती है पहली किरणें
और कहाँ होता है सबसे बाद में अंधकार।

ठीक-ठीक क्रम देना है आपको
कि कौन किसके बाद आया इस संसार में,
गाँधी,मार्क्स ,लेनिन और बुद्ध को खडा करना है
एक के पीछे एक,

कतई आग्रह नहीं है यहाँ कि पढा जाए इनके दर्शन को
बडी सुविधा है कि जीवनी की पुस्तकों में
सबसे पहले छपी होतीं हैं जन्म तिथियाँ।

किसने लगाया था निशाना मछली की आँख में
तेल से भरी हुई परात में देखते हुए,
पत् नी को जुए में लगाने वाले किस युवराज को कहा गया था धर्मराज,

जरूरी तो नहीं कि सीखें आप भी धनुर्विद्या
और जीत कर लाएँ कोई पदक खेल महोत्सव से,
कोई ठेका नही ले रखा प्रायोजकों ने
कि सिखाते फिरें सत्य बोलने का सबक,

दौड-दौडकर बनाईजा सकती है भले ही सेहत
लेकिन पलट सकती है जीती हुई बाजी
विस्मृत है यदि
दुनिया के सबसे तेज धावक का नाम
आपकी स्मृति से।
पुस्तकों के महासागर में गोता लगाकर
मोती निकालने की आवश्यकता नहीं है अब,
मालिक हो सकते हैं आप खजाने के
यदि बता सकेँ पुस्तक के लेखक का सही नाम,

रवीन्द्रनाथ नोबेल पुरस्कार से जाने जाते हैं,
प्रेमचंद कथाकार हैं जो हो गए अमर 'गोदान ' लिखकर
'
गोदान' के  मर्म को समझने का कष्ट नहीं है अब,
पुरस्कार के चेक का वजन काफी अधिक होता है
उपन्यास की आत्मा के वजन से।

घोषित हो सकते हैं विजेता
बगैर लडे कोई युद्ध,
अगर बता सके विश्वयुद्ध के खलनायकों के नाम।

किसने जाना भाप की ताकत को सबसे पहले,
किसने बनाया टेलीफोन,
किसने किया आविष्कार पहिये का
किसने देखा गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त जमीन पर गिरते सेब में
कौन भटकता रहा समुद्र की छाती पर नईदुनिया की खोज में,

किसको मिला सम्मान और कहलाया राष्ट्ररत्न
कौन बना करोडपति अपनी मेहनत से,
कोई जरूरी तो नहीं कि हम भी करें कोशिश
कर दिखाएँ कोई करिश्मा
व्यर्थ की खोज में
यूँहीं गँवादें यह प्यारा जीवन।

जरा से खर्च में खरीदी जा सकती है वुंत्र्जी
जो करवा सकती है दुनिया भर की सैर
तोडकर लाए जा सकते हैं
आसमान के चमकते सितारे
जीतने के लिए जान लें सिर्फ इतना कि
सुनहरी चिडिया के आखेट के लिए
कौन से शिकारी और चिडिमार कब-कब आए,
क्या करेंगे जानकर कि चिडिया के आकाश में
वैत्र्सी सुहानी हवा बहा करती थी उन दिनों।

जरूरी नही कि आप भी बहाएँ पसीना
और बनाएँ कोई यादगार,
पुरस्कार पाने के लिये रखें याद वेत्र्वल इतना
दुनिया के अजूबे की रचना के बाद
किस शहंशाह ने कटवा दिये थे हाथ वुत्र्शल कारीगरों के

कब किया गया विध्वंस आस्था की इमारतों का  ,
किसने गिराई प्रलय की बारूद धरती पर
किस तारीख को जहरीली हो गई
घनी गरीब बस्तियों की हवा,
इतना ही काफी है आपकी याददाश्त के लिए
मत करिए चिन्ता
कि किस घडी में समाप्त होगा
प्रकृति और मानवता से यह खिलवाड ?

छोटी सी पगडंडी जाती है इस चमकदार नए बाजार में,
वस्तुओं की तरह जानकारियों का हो रहा है लेन-देन
ज्ञान का लेबल लगे खाली कनस्तरों के इस व्यापार में
बेच रहें हैं चतुर सौदागर अपना माल
पूरे सलीके के साथ,

एक भीड है बाजार में आँखों पर पट्‌टी बाँधे
जो ठगे जाने के बावजूद बजा रही है तालियाँ
बार-बार लगाताऱ !

1 comment: