कविता
इस गणराज्य में आजादी
एक
कितना सहज है कि
वे और मैं अब अलग नहीं लगते
वे सुझा रहे हैं कि क्या होना चाहिए मेरा भोजन
मैं वही देखता हूँ
जिसे कहा जा रहा है कि यही सुन्दर और वास्तविक है
मैं नाच रहा हूँ ,गा रहा हूँ उसी तरह
जैसे झूम रहे हैं साहूकार
बोल रहा हूँ सौदागरों की भाषा
बेचा जा सकता है हर कुछ जिसकी मदद से
मुझे पता नहीं है कि
कहाँ लगा है मेरा धन
और कितनी पूँजी लगी है परदेसियों की
मेरा घर सजाने में
मेरा शायद हो मेरा
जो समझता था उनका
लगता ही नही कि अपना नहीं था कभी
उनके निर्देशों के अनुरूप चलती हैं मेरी सरकारें
नियम और कानून ऐसे लगते हैं
जैसे हमने ही बनाए हैं अभी
पराधीनता का कोई भाव ही दिखाई नहीं देता गणराज्य में
तो कैसे जानूँ आजादी का अर्थ
दो
बर्गर और पिज्जा बेचने वाली
नईबहुराष्ट्रीय दुकान का विज्ञापन देखकर
उछल पडता है बच्चा
जैसे मिल गई आजादी
दुनिया भर के भोजन को चबा डालने की
अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है
दो वक्त की रोटी से मंहंगी कलम से
कर्ज के दस्तावेज और पुरस्कार के चेकों पर
दस्तखतों का फिसलना
सबसे आगे रहने के लिए
बाधाओं को छलांगते हुए दौड जाने की आजादी मिलती है
थकान और पसीने से बचानेवाले
बहुमूल्य जूतों के चयन के बाद
आजादी के लिए उपवास की बात
अब किताबों से हटा दी गर्ईं हैं
गर्व से ऊपर उठता है मस्तक
सनसनाते पेय के हलक से उतरते ही
उत्साह और उमंग के बाजारी जश्न में
बेडियों के विस्तार को मिल गई है आजादी
ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क,
कनाडिया रोड,इंदौर-18
इस गणराज्य में आजादी
एक
कितना सहज है कि
वे और मैं अब अलग नहीं लगते
वे सुझा रहे हैं कि क्या होना चाहिए मेरा भोजन
मैं वही देखता हूँ
जिसे कहा जा रहा है कि यही सुन्दर और वास्तविक है
मैं नाच रहा हूँ ,गा रहा हूँ उसी तरह
जैसे झूम रहे हैं साहूकार
बोल रहा हूँ सौदागरों की भाषा
बेचा जा सकता है हर कुछ जिसकी मदद से
मुझे पता नहीं है कि
कहाँ लगा है मेरा धन
और कितनी पूँजी लगी है परदेसियों की
मेरा घर सजाने में
मेरा शायद हो मेरा
जो समझता था उनका
लगता ही नही कि अपना नहीं था कभी
उनके निर्देशों के अनुरूप चलती हैं मेरी सरकारें
नियम और कानून ऐसे लगते हैं
जैसे हमने ही बनाए हैं अभी
पराधीनता का कोई भाव ही दिखाई नहीं देता गणराज्य में
तो कैसे जानूँ आजादी का अर्थ
दो
बर्गर और पिज्जा बेचने वाली
नईबहुराष्ट्रीय दुकान का विज्ञापन देखकर
उछल पडता है बच्चा
जैसे मिल गई आजादी
दुनिया भर के भोजन को चबा डालने की
अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है
दो वक्त की रोटी से मंहंगी कलम से
कर्ज के दस्तावेज और पुरस्कार के चेकों पर
दस्तखतों का फिसलना
सबसे आगे रहने के लिए
बाधाओं को छलांगते हुए दौड जाने की आजादी मिलती है
थकान और पसीने से बचानेवाले
बहुमूल्य जूतों के चयन के बाद
आजादी के लिए उपवास की बात
अब किताबों से हटा दी गर्ईं हैं
गर्व से ऊपर उठता है मस्तक
सनसनाते पेय के हलक से उतरते ही
उत्साह और उमंग के बाजारी जश्न में
बेडियों के विस्तार को मिल गई है आजादी
ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क,
कनाडिया रोड,इंदौर-18
आजादी के लिए उपवास की बात
ReplyDeleteअब किताबों से हटा दी गर्ईं हैं
गर्व से ऊपर उठता है मस्तक
सनसनाते पेय के हलक से उतरते ही ....
यही कैसी विचित्र आजादी ! ....
और आजादी मिल गई हैं हमें कुछ भी करने की सहीं ग़लत कुछ भी सोचे बिना
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in