Saturday, July 16, 2011

आतंकवाद के विरुद्ध हमारी रणनीति क्या होगी ?



 

आतंकवाद के विरुद्ध हमारी रणनीति क्या होगी ?

ओसामा के अंत के बाद हमारे यहां ऐसी आवाजें सुनाई दे रहीं हैं कि हमारे मोस्ट वांटेड दाऊद और मौलाना अजहर मसूद के अंत के लिए भारत को भी अमेरिका जैसी कार्रवाई करनी चाहिए। मेरा मानना है कि यह विचार बड़ा आक्रामक  और जोशपूर्ण तो अवश्य दिखाई देता है किंतु वास्तविकता में महज नारे बाजी से कुछ ज्यादा नहीं होगा। अमेरिका और पाकिस्तान का गणित  अलग था, भारत और पाक की केमिस्ट्री कुछ भिन्न है। न तो हमारे पास पुख्ता जानकारियाँ हैं और न ही पर्याप्त क्षमता एवं व्यापक जनसमर्थन। पाकिस्तान के ईमानदार सहयोग के बगैर किसी भी कार्रवाई का अपेक्षित परिणाम आना संदिग्ध ही होगा। दोनों मुल्कों के शाँति पसंद अवाम को भी ऐसी कोई कार्रवाई अधिक रुचिकर नहीं होगी।
भारत की चिंता तो यह भी है कि उसे पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक मानसिकता से भी मुकाबला करना है। परमाणु ताकत रखने वाले देशों मे से पाकिस्तान ही एकमात्र देश है जहाँ परमाणु बटन सेना के पास है तथा जिसकी आड़ में वह दशहतगर्दी फैलाता रहता है। इसमे कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान के अंदर अलकायदा को समर्थन देनेवालों का एक बड़ा वर्ग अब भी मौजूद है। लादेन भले ही इसका एक प्रमुख चेहरा रहा हो किंतु पिछले समय में अन्य चेहरों ने अपनी ताकत नहीं ब़ढ़ाई होगी ऐसा मान लेना शायद बहुत बड़ी भूल होगी। अमेरिका न तो मर्यादा पुरुषोत्तम है और नही उसनें आतंकवाद की नाभि में निशाना लगाया है। सच तो यह है कि ओबामा नें 9/11 का बदला ओसामा को मार कर लिया है। ओसामा के सफाए के लिए अमेरिका ने भी एक तरह की आतंकी कर्रवाई ही की है। किसी देश की सरकार,सैन्य-प्रशासन को कानों कमांडो अचानक उनकी कानो-कान खबर न हो और अमेरिकी कमांडो उनकी धरती पर संहार कर जाएँ, इसे हम उनकी सद्‌भावना यात्रा तो नहीं कह सकते।
अब संभावना तो यह भी बनती है कि ओसाम समर्थक और अलकायदा के अनुयायी लादेन की हत्या को एक चुनौती मानकर नए उत्पात की तैयारी में लग जाएँ। अलकायदा और ऐसे ही अन्य आतंकी संगठनों को हतोत्साहित करने के लिए उचित होता कि दुनिया के इस मोस्ट वांटेड अपराधी को जिंदा गिरफ्तार करके उसके गुनाहों को उजागर किया जाता तथा मुकदमा चलाकर उसे सजा सुनाई जाती।

बहरहाल , ओसामा बिन लादेन के खात्में के साथ दुनिया से आतंकवाद के सफाए की खुशफहमी नहीं पाली जा सकती।  जैसा कि प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा है आतंकवाद से निपटने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम अवश्य है लेकिन आतंकवाद से निपटने की हमारी तकनीक और रणनीति क्या होनी चाहिए ? इसपर गंभीरता से विचार होना चाहिए। लादेन की मौत पर जो वातावरण बना है उसका लाभ लेते हुए हमारी सरकार ने इस बीच अपनी राजनीतिक दृढ़ता मे आई उस कमी को भी यदि  दूर कर लिया , जिसके कारण कसाब जैसों को राहतें मिलती रहीं हैं तो बहुत बेहतर होगा






Friday, July 8, 2011

नेताओं के बयानों पर नहीं,नेतृत्व विकास पर चिंतन हो !


नेताओं के  बयानों पर नहीं,नेतृत्व विकास पर चिंतन हो !

बड़े नेताओं के बयानों के गिरते स्तर पर टिप्पणी करने से पहले एक कठिनाई यह भी है कि आखिर बड़े नेता हम किन्हें मानें? केव बड़े पदों पर या बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले हमारे प्रतिनिधि कया सचमुच बड़े कहलाने योग्य रह गए हैं? वर्तमान समय में मुझे तो ऐसा कोई नेता दिखाई नही दे रहा जिसे हम अपना सच्चा राजनीतिक लीडर कह सके
नेताओं के घटिया बयान आज सुर्खियों में दिखाई देतें हैं ,यह सब अचानक नही हो गया है। नेता जो बोलते हैं उसके पीछे पतन की एक लंबी डगर रही है। पिछले पाँच दशकों में हमारे समाज में धीरे-धीरे ऐसे परिर्वतन हुए हैं कि सामूहिक आचार-विचार और सहिष्णुता पर स्वार्थ की कालिख नें समझ की रोशनी को धुंधला बना दिया है। सफलता के शार्टकटों की आँधी दौड़ ने हमारी सारी रचनात्मक और सामाजिक परंपरा को ही ध्वस्त कर डाला है। हमारे बुजुर्ग और गुरुजन एक पूरी पीढ़ी को विचारवान, कर्मवीर तथा सहिष्णु बनाने में सक्षम होते थे, किंतु अब संस्कारों की यह नदी भी सूख सी गई है।मूल्यहीनता हमारे नए संस्कार हो गए हैं। संघर्ष,सच्चाईऔर ईमानदारी के लंबे रास्ते का चुनाव मूर्खता सिद्ध किया जाने लगा है। कोई पथप्रर्दशक,चिंतक या कोई आंदोलन गलत के विरोध में खड़ा होता है तो उसको नष्ट करने की सुनियोजित षड़यंत्र शुरू हो जानें में देर नही लगती। आज जो नेता बयानबाजी करते हैं तब उनके  शब्द किसी विचारधारा,नैतिक मूल्यों या सार्वजनिक कल्याण के वैचारिक विश्लेषण के परिप्रेक्ष्य नही होते बल्कि राजनीतिक स्वार्थ्य और मीडिया में सुर्खियाँ बटोरने की चाहत का नतीजा भी होते हैं।उनका टारगेट वर्ग भी हमारी वही आम जनता होती है जिसकी समझ का विकास भी इसी समाज में इन्ही स्थितियों के बीच हुआ है।
सच तो यह है कि नेताओं के बयानों पर नहीं ,सच्चे नेता गढ़ने की सही प्रक्रिया  और नेतृत्व विकास की उचित संस्थाओं के शुद्धिकरण एवं सार्थकता पर चिंतन होना चाहिए।

ब्रजेश कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी,चमेली पार्क ,कनाडिया रोड,इंदौर-18